मैंने प्रतिलिपि पर बहुत से लेखकों को पढा है और इनमें से ज्यादातर ऐसे ही मिले जो परिस्थितिवश या फिर संयोगवश लेखन के क्षेत्र में उतरे, और उन सबके लिए ही प्रतिलिपि ने एक सार्थक मंच के तौर पर काम किया. ...
आपका ये लेख मेरे लिए बहुत ही प्रेरक है पूजा जी। सच कहूं तो आपने बिल्कुल सही कहा की कई लेखक परिस्थिति वश यहां पैदा हुए हैं। मैं भी शायद उनमें से एक हूं। बचपन से ले कर तीन साल पहले तक मैंने कभी सपने में भी लेखन के बारे में सोचा भी नहीं था। पर हां बचपन से ही कहानियों से गहरा लगाव रहा है। जब पढ़ नहीं पाती थी तब सुनना पसंद था और जब पढ़ने लगी तब पढ़ कर अपना ये शौक पूरा करने लगी। पर लिखने के बारे में कभी दूर दूर तक भी ख्याल नहीं आया। लेखन बस स्कूल के निबंध लिखने तक ही सीमित रहा🙈।
खैर तीन साल पहले जब यहां लिखना शुरू किया तब सोचा नहीं था की मुझे भी लोग पढ़ना पसंद करेंगे। पर फिर भी जितना भी मिला मुझे बहुत मिला । बल्कि ये कहूंगी की उम्मीद से परे मिला। आप जैसे अच्छे लेखकों को पढ़ते पढ़ते कब लिखने लगी मुझे पता ही नहीं चला। पर बीच बीच में जब सभी को प्रतियोगता में इनाम मिलता या कोई सर्टिफिकेट मिला और मेरी रचना कहीं नज़र भी नहीं आती तब बहुत निराश होती। पर कुछ सह लेखकों ने हमेशा हौसला बढ़ाया मेरा। बहुत प्यार मिला है यहां प्रतिलिपि पर।
एक बात कब से दिल में थी जो कब से लिखना चाह रही थी पर लिख नहीं पाई क्योंकि डर था की किसी को नाराज कर दूंगी। आपने कहा लोग पढ़ते हैं और पढ़ कर और अच्छा लिखते हैं। मैं भी यही करती हूं और मेरा भी यही मानना है की एक अच्छा पाठक ही अच्छा लेखक हो सकता है। पर यहां अगर आप किसी से प्रेरित हो कर अपने लेखन में कुछ बदलाव लाते हो तो ये बात वो पचा नहीं पाते। अगर आप उनका लिखा एक शब्द भी यूज करते हैं तो उन्हें लगता है उनकी शैली कॉपी कर ली गई है। अरे भैया आपने भी तो कहीं पढ़ा होगा। आपने भी तो कहीं से सीखा ही होगा। ठीक है आप बहुत बड़े बड़े उपन्यासकार को पढ़ते होंगे और वो स्वर्ग से उतर कर कहने नहीं आयेंगे की भाई तूने मेरी शैली कॉपी कर ली है। पर इस बात से आप इंकार नहीं कर सकते की कहीं से सीखा तो आपने भी है।
खैर भावनाओ में बह कर मैं कहीं की कहीं जा रही हूं। पर आज आपका ये लेख पढ़ कर यही लगा की ये लंबी मैराथन है कोई 100 मीटर की रेस नहीं। सब्र और संयम से आगे बढ़ना होगा। बिना विचलित हुए। जब आप बचपन से लिख रही है और इतना लंबा सफर कर के यहां तक पहुंची हैं तो लेखन के क्षेत्र में तो मैं अभी पैदा ही हुई हूं😜।
आप आगे भी ऐसी ही बढ़िया और प्रेरक लेख हम जैसे नए नवेले लेखकों के लिए लिखते रहा कीजिए। बहुत बहुत धन्यवाद आपका और बहुत बहुत शुभकामनाएं🌷🌷🌷🌷💐💐💐💐
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mai pratilipi pe bs apke liye ayi thi kyu ki kuku fm pe Maine apki story dil bechara suni vo mujhe bahut hi aachi lagi.. phir Mujhe pata chala ki ap pratilipi pe story likhte hi ..mai yaha ayi apko follow Kiya.. apki saari stories padh ke apki fan ho gyi.... mujhe apki likhne ka style.. aur usme Humour,tradegy, romance, Action har flavour ka takdka hota hi apki story me.... Mujhe padh ke Dil mera garden garden ho jata hi.... likhna toh mere bs ki bt nhi.. lekin ha jab takh rahungi apki story ko jarur padhti rahungi....
ap dekhiyega Bahut jald har pratiyogita me apka naam hoga ap Jeet bhi hasil karenge...bs Aishe hi Aache aache story likhte rahiye ap...
🤗
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क्या बात है पूजा जी आपके लेख को पढ़कर भी उतना ही मजा आया जितना आपकी कहानियों को पढ़कर आता है , आप सीरियस बात को भी इस अंदाज में कहती सॉरी लिखती हैं की चेहरे पर स्माइल आ जाती है 😊...आप शब्दो को बखूबी इस्तेमाल करना जानती हैं और आपको पढ़ना मुझे आनंद देता है आप जिन भी परिस्थितियों में लेखिका बनी मैं तो उन्हे थैंक्स बोलना चाहूंगी और आपके मम्मा पापा को भी स्पैशल थैंक्स की उन्होंने आपको उस्ताद नही बनने दिया अगर आप किसी और क्षेत्र में चली जाती तो हमे कैसे मिलती और ये नुकसान तो ऐसा होता की इसकी भरपाई भी न हो पाती ...
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आपका ये लेख मेरे लिए बहुत ही प्रेरक है पूजा जी। सच कहूं तो आपने बिल्कुल सही कहा की कई लेखक परिस्थिति वश यहां पैदा हुए हैं। मैं भी शायद उनमें से एक हूं। बचपन से ले कर तीन साल पहले तक मैंने कभी सपने में भी लेखन के बारे में सोचा भी नहीं था। पर हां बचपन से ही कहानियों से गहरा लगाव रहा है। जब पढ़ नहीं पाती थी तब सुनना पसंद था और जब पढ़ने लगी तब पढ़ कर अपना ये शौक पूरा करने लगी। पर लिखने के बारे में कभी दूर दूर तक भी ख्याल नहीं आया। लेखन बस स्कूल के निबंध लिखने तक ही सीमित रहा🙈।
खैर तीन साल पहले जब यहां लिखना शुरू किया तब सोचा नहीं था की मुझे भी लोग पढ़ना पसंद करेंगे। पर फिर भी जितना भी मिला मुझे बहुत मिला । बल्कि ये कहूंगी की उम्मीद से परे मिला। आप जैसे अच्छे लेखकों को पढ़ते पढ़ते कब लिखने लगी मुझे पता ही नहीं चला। पर बीच बीच में जब सभी को प्रतियोगता में इनाम मिलता या कोई सर्टिफिकेट मिला और मेरी रचना कहीं नज़र भी नहीं आती तब बहुत निराश होती। पर कुछ सह लेखकों ने हमेशा हौसला बढ़ाया मेरा। बहुत प्यार मिला है यहां प्रतिलिपि पर।
एक बात कब से दिल में थी जो कब से लिखना चाह रही थी पर लिख नहीं पाई क्योंकि डर था की किसी को नाराज कर दूंगी। आपने कहा लोग पढ़ते हैं और पढ़ कर और अच्छा लिखते हैं। मैं भी यही करती हूं और मेरा भी यही मानना है की एक अच्छा पाठक ही अच्छा लेखक हो सकता है। पर यहां अगर आप किसी से प्रेरित हो कर अपने लेखन में कुछ बदलाव लाते हो तो ये बात वो पचा नहीं पाते। अगर आप उनका लिखा एक शब्द भी यूज करते हैं तो उन्हें लगता है उनकी शैली कॉपी कर ली गई है। अरे भैया आपने भी तो कहीं पढ़ा होगा। आपने भी तो कहीं से सीखा ही होगा। ठीक है आप बहुत बड़े बड़े उपन्यासकार को पढ़ते होंगे और वो स्वर्ग से उतर कर कहने नहीं आयेंगे की भाई तूने मेरी शैली कॉपी कर ली है। पर इस बात से आप इंकार नहीं कर सकते की कहीं से सीखा तो आपने भी है।
खैर भावनाओ में बह कर मैं कहीं की कहीं जा रही हूं। पर आज आपका ये लेख पढ़ कर यही लगा की ये लंबी मैराथन है कोई 100 मीटर की रेस नहीं। सब्र और संयम से आगे बढ़ना होगा। बिना विचलित हुए। जब आप बचपन से लिख रही है और इतना लंबा सफर कर के यहां तक पहुंची हैं तो लेखन के क्षेत्र में तो मैं अभी पैदा ही हुई हूं😜।
आप आगे भी ऐसी ही बढ़िया और प्रेरक लेख हम जैसे नए नवेले लेखकों के लिए लिखते रहा कीजिए। बहुत बहुत धन्यवाद आपका और बहुत बहुत शुभकामनाएं🌷🌷🌷🌷💐💐💐💐
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mai pratilipi pe bs apke liye ayi thi kyu ki kuku fm pe Maine apki story dil bechara suni vo mujhe bahut hi aachi lagi.. phir Mujhe pata chala ki ap pratilipi pe story likhte hi ..mai yaha ayi apko follow Kiya.. apki saari stories padh ke apki fan ho gyi.... mujhe apki likhne ka style.. aur usme Humour,tradegy, romance, Action har flavour ka takdka hota hi apki story me.... Mujhe padh ke Dil mera garden garden ho jata hi.... likhna toh mere bs ki bt nhi.. lekin ha jab takh rahungi apki story ko jarur padhti rahungi....
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