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रुक जा जरा!

4.9
770

रुक जा जरा! "थोड़ा और ठहर जाओ न! कुछ दिन और नहीं रूक सकते क्या?" उसके स्वर में वेदना स्पष्ट झलक रही थी। जो अपने प्रियतम के कंधे पर हाथ रखे रोकने की कोशिश कर रही थी। "तुम तो जानती ही हो श्रेष्ठा! ...

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‛आज मत जा..!’
‛आज मत जा..!’
मनोज कुमार "MJ"
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लेखक के बारे में
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मनोज कुमार

जय महाकाल🙏 संवार रहा हूं लफ्जों को कलम से, कुछ तुम भी पढ़ लो जो दिल आ जाए...! #Not_a_writer♥️

समीक्षा
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  • author
    Shaba ❤️
    24 டிசம்பர் 2022
    अति सुंदर! क्या ही कहें? मन मोह लिया इस रचना ने। सार्थक शब्दों के मोतियों को भावनाओं के धागे में पिरोकर जो निर्मित हुआ है, नि:संदेह प्रेम का आभूषण है। यद्यपि एक फाॅ॑स चुभी जरूर है कि नायिका श्रेष्ठा ने जब अपने प्रेम को बंधन से मुक्त माना था, तो नायक को उसके कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने क्यों नहीं दिया? प्रेम में विवशता कभी-कभी सर्वोपरि हो जाती है, जो मन को प्रिय भी लगती है। अंत में लिखी कविता बहुत सुंदर है और कथा का सार कहती हुई हृदय में उतरती है। सुंदर रचना के लिए अभिनंदन!
  • author
    निर्मोही 🖤
    24 டிசம்பர் 2022
    सही कहा mj ,,,,, प्रेम बंधन नहीं स्वतंत्रता है.... और कितना गहराई से हर एक वाक्य लिखा है,,,, आजकल के प्यार की कहानियों से बिल्कुल विपरीत.... सच्चा,, पवित्र..... निश्छल,,,,, जबकि आजकल तो प्यार एक दिखावा बन गया है..... बहुत अच्छा लिखा है तुमने.... keep it up,,,, और इसमें लिखी कविता,,,, चार चांद लगा रहीं हैं👏👏👏..... वाह 🥰🥰
  • author
    Avni Pandit
    24 டிசம்பர் 2022
    अद्भुत। बहुत खूबसूरती से लिखा है आपने। कविता ने चार चाँद लगा दिए इस अनूठी कहानी में। श्रेष्ठा और कुमार के मध्य का वार्तालाप बहुत अच्छा था। 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻💐💐💐💐
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    Shaba ❤️
    24 டிசம்பர் 2022
    अति सुंदर! क्या ही कहें? मन मोह लिया इस रचना ने। सार्थक शब्दों के मोतियों को भावनाओं के धागे में पिरोकर जो निर्मित हुआ है, नि:संदेह प्रेम का आभूषण है। यद्यपि एक फाॅ॑स चुभी जरूर है कि नायिका श्रेष्ठा ने जब अपने प्रेम को बंधन से मुक्त माना था, तो नायक को उसके कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने क्यों नहीं दिया? प्रेम में विवशता कभी-कभी सर्वोपरि हो जाती है, जो मन को प्रिय भी लगती है। अंत में लिखी कविता बहुत सुंदर है और कथा का सार कहती हुई हृदय में उतरती है। सुंदर रचना के लिए अभिनंदन!
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    निर्मोही 🖤
    24 டிசம்பர் 2022
    सही कहा mj ,,,,, प्रेम बंधन नहीं स्वतंत्रता है.... और कितना गहराई से हर एक वाक्य लिखा है,,,, आजकल के प्यार की कहानियों से बिल्कुल विपरीत.... सच्चा,, पवित्र..... निश्छल,,,,, जबकि आजकल तो प्यार एक दिखावा बन गया है..... बहुत अच्छा लिखा है तुमने.... keep it up,,,, और इसमें लिखी कविता,,,, चार चांद लगा रहीं हैं👏👏👏..... वाह 🥰🥰
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    Avni Pandit
    24 டிசம்பர் 2022
    अद्भुत। बहुत खूबसूरती से लिखा है आपने। कविता ने चार चाँद लगा दिए इस अनूठी कहानी में। श्रेष्ठा और कुमार के मध्य का वार्तालाप बहुत अच्छा था। 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻💐💐💐💐